अप्रिय का अर्थ क्या है?

अप्रिय का अर्थ क्या है?

1: घृणित या घृणित रूप से आपत्तिजनक : अत्यधिक आक्रामक। 2 पुरातन : किसी अप्रिय या हानिकारक वस्तु के संपर्क में आना—जिसके साथ प्रयोग किया जाता है। 3 पुरातन : निंदा के योग्य।

आप एक वाक्य में अप्रिय शब्द का उपयोग कैसे करते हैं?

यदि आप किसी को अप्रिय बताते हैं, तो आप सोचते हैं कि वह बहुत अप्रिय है। माता-पिता में से एक सबसे अप्रिय चरित्र था। कोई उसे पसंद नहीं करता था। मेरी मेज पर बैठे लोग इतने अप्रिय थे कि मुझे बस अपनी सीट बदलनी पड़ी।

अप्रिय एक विशेषण है?

OBNOXIOUS (विशेषण ) परिभाषा और समानार्थी शब्द | मैकमिलन डिक्शनरी।

अप्रिय का संज्ञा क्या है?

अप्रिय रूप से, क्रिया विशेषण, संज्ञा।

अस्वाभाविक से क्या अभिप्राय है?

अस्वाभाविक की परिभाषा 1: बेस्वाद, बेस्वाद । 2a: स्वाद या गंध के लिए अप्रिय। बी: अप्रिय, अरुचिकर एक अस्वाभाविक असाइनमेंट विशेष रूप से: नैतिक रूप से आक्रामक अस्वाभाविक व्यवसाय प्रथाएं।

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is unenvied a word

विशेषण। ईर्ष्या से नहीं माना । एडवर्ड को इंग्लैंड में दांव पर जलाए जाने वाले धार्मिक शहीदों में से अंतिम होने का निर्विवाद गौरव प्राप्त है।

अव्यय का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग?

अव्यय संस्कृत में – Avyay In Sanskrit अर्थात् तीनों लिंगों में, सभी विभक्तियों और सभी वचनों में जो समान ही रहता है, रूप में परिवर्तन नहीं होता, वह अव्यय होता है। अव्ययों के अन्त में आने वाले र, स् वर्गों के स्थान पर विसर्ग का प्रयोग होता है, जैसे उच्चस = उच्चैः नीचैस = नीचैः अन्तर = अन्तः, पुनर = पुनः।

विशेषण और विशेष्य क्या होता है?

विशेष्य और विशेषण की परिभाषा और उदाहरण – संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। विशेषण जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेष्य या तो संज्ञा रूप में होता है या क्रिया रूप में।

विशेष्य शब्द कौन कौन से होते हैं?

विशेषण शब्द जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। अतः संज्ञा या सर्वनाम शब्द ही विशेष्य कहलाता है. विशेष्य के साथ विशेषण का प्रयोग दो तरह से होता है. संज्ञा के साथ – संज्ञा के साथ प्रयुक्त होने पर इसे विशेष्य विशेषण कहते हैं तथा इनका प्रयोग विशेष्य से पहले किया जाता है.

वाक्यों में विशेषण उदाहरण?

ये शब्द वाक्य में संज्ञा के साथ लगकर संज्ञा की विशेषता बताते हैं। विशेषण विकारी शब्द होते हैं एवं इन्हें सार्थक शब्दों के आठ भेड़ों में से एक माना जाता है। बड़ा, काला, लम्बा, दयालु, भारी, सुंदर, कायर, टेढ़ा–मेढ़ा, एक, दो, वीर पुरुष, गोरा, अच्छा, बुरा, मीठा, खट्टा आदि विशेषण शब्दों के कुछ उदाहरण हैं।

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भाववाचक संज्ञा का उदाहरण क्या है?

या -जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं. जैसे – मिठास, खटास, धर्म, थकावट, जवानी, मोटापा, मित्रता, सुन्दरता, बचपन, परायापन, अपनापन, बुढ़ापा, प्यास, भूख, मानवता, मुस्कुराहट, नीचता, क्रोध, चढाई, उचाई, चोरी आदि.

नेताओं में कौन सी संज्ञा है?

नेताजी क) व्यक्तिवाचक संज्ञा , बहुवचन , पुल्लिंग , कर्ताकारक , ‘चश्मा से संबंध ।

उदार का भाववाचक संज्ञा क्या है?

‘उदार ‘ में ‘ता ‘ प्रत्यय लगाने से उदारता शब्द बनता है जो भाववाचक संज्ञा है।

10 अव्यय शब्द लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए?

जैसे- राम धीरे-धीरे टहलता है; राम वहाँ टहलता है; राम अभी टहलता है। इन वाक्यों में ‘धीरे-धीरे’, ‘वहाँ’ और ‘अभी’ राम के ‘टहलने’ (क्रिया) की विशेषता बतलाते हैं। ये क्रियाविशेषण अविकारी विशेषण भी कहलाते हैं।

संस्कृत में अव्यय शब्द क्या होते हैं?

किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- ‘जो व्यय न हो।

संस्कृत में अव्यय कौन कौन से हैं?

संस्कृत के वे शब्द जो सर्वदा एक जैसे ही रहते हैं (जिनमें विभक्ति, वचन तथा लिङ्ग के आधार पर कोई परवर्तन नहीं होता है।) उन्हें अव्यय कहते हैं सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु, सर्वासु च विभक्तिषु । वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तदव्ययम् ॥ अथ आरम्भ या इसके बाद अलम् निषेधार्थक (योगे तृतीया वि.)

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